मोदी-शाह के लिये जेटली हैं लोक सभा चुनावों के कर्ता-धर्ता।
पार्टी के काम-काज को संभालने और उम्मीदवार तय करने, मीडिया को खबर देने से लेकर राजनयिकों से बात-चीत और पीएमओ के साथ संपर्क बनाने तक - इस चुनाव में अरुण जेटली ही हैं भाजपा के मुख्य कर्ता-धर्ता, आर राजागोपालन की रिपोर्ट।
प्रधान मंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने तय कर लिया है कि आने वाले लोक सभा चुनावों की महाभारत में उनके अर्जुन के लिये कृष्ण की भूमिका कौन निभायेगा।
2019 के चुनावी अभियान के संचालन के लिये वित्त मंत्री अरुण जेटली को कर्ता-धर्ता के रूप में चुना गया है।
जनवरी में जेटली की सर्जरी के बाद, डॉक्टरों ने उन्हें यात्रा करने और ज़्यादा थकने से मना किया था, इसलिये चुनावी अभियानों की भाग-दौड़ करना उनके लिय संभव नहीं है।
इसलिये, चुनावी अभियान के रणनीतिज्ञ बनने के मोदी के प्रस्ताव को 67-वर्षीय जेटली ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया, जिन्हें चुनावों के दौरान नयी दिल्ली में स्थित भाजपा के मुख्यालय में तैनात किया जायेगा।
रविवार, मार्च 10 को चुनावों की घोषणा के समय से जेटली रोज़ दोपहर 3 बजे भाजपा मुख्यालय पहुंच जाते हैं और चार से पाँच घंटे पार्टी के कई अधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं के साथ मीटिंग्स में बिताते हैं।
2013 में, जेटली ने मोदी को प्रधान मंत्री उम्मीदवार के रूप में आगे करने के लिये भाजपा के गोवा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का प्रस्ताव तैयार किया था, इसलिये उन पर मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित अनिलचंद्र शाह को पूरा भरोसा है।
साथ ही वे महीने में एक बार नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय का भी दौरा करते हैं, जिसमें वह आरएसएस नेताओं को संघ के लिये महत्वपूर्ण योजनाओं के लागू होने से जुड़ी जानकारियाँ देते हैं।
जेटली सिर्फ केंद्रीय कैबिनेट, आरएसएस और भाजपा को जोड़ने वाली कड़ी ही नहीं, बल्कि साथ ही विदेशी नेताओं के सामने पार्टी का पक्ष रखने वाले मुख्य प्रतिनिधि भी हैं।
पिछले दो दिनों से जेटली की दिनचर्या ऐसी ही रही है। सुबह वे नॉर्थ ब्लॉक में स्थित वित्त मंत्रालय में सरकारी काम-काज देखते हैं, और उनकी शामें पार्टी कार्यालय में बीतती हैं।
रोज़ एक घंटे तक जेटली पार्टी के 35 अधिकृत वक्ताओं के साथ विचार-विमर्श करते हैं और टेलीविज़न समाचार चैनलों पर दिन का विषय प्रस्तुत करने के संबंध में उनका मार्गदर्शन करते हैं।
साथ ही उन्होंने रोज़ अपने ब्लॉग पर भी पोस्ट करने का फैसला किया है, ताकि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की सोच पार्टी कार्यकर्ताओं तक पहुंच सके।
जेटली दिन में एक घंटा अलग-अलग पत्रकारों से मुलाकात करने में भी बिताते हैं, ताकि दोनों ही पक्ष जानकारी के आदान-प्रदान का लाभ उठा सकें।
इसके अलावा, वे रोज़ तीन-चार विदेशी राजनयिकों से भी मिलते हैं। इस चुनावी माहौल में, कई देश राजधानी के राजनैतिक माहौल, आने वाले चुनाव के नतीजों और नीतियों में होने वाले बदलावों के बारे में जानकारी चाहते हैं।
जेटली राजनयिकों को बताते हैं कि वो क्या उम्मीद रख सकते हैं।
अपने कानूनी अनुभव के साथ, जेटली चुनाव आयोग के साथ संगठन और लॉजिस्टिक संबंधी मुद्दों की चर्चा करते हैं।
जेटली 1970 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के द्वारा विद्यार्थी स्तर की राजनीति में शामिल हुए, जिसके बाद उन्होंने जयप्रकाश नारायण विद्रोह में हिस्सा लिया और आपातकाल के दौरान जेल में दिन काटे, जिसके बाद वह जन संघ में शामिल हुए और 1999 में 47 वर्ष की उम्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में राज्य मंत्री बने - उनके इस लंबे अनुभव और दक्षता के कारण ही उन्हें उम्मीदवारों को छाँटने और चुनने का महत्वपूर्ण काम सौंपा गया है।
इस ज़िम्मेदारी के साथ-साथ संगठन से जु्ड़ी ज़िम्मेदारियाँ, मीडिया संपर्क और मई 2019 में आने वाले चुनावों के अंतिम चरण तक मोदी द्वारा की जाने वाली 400 महा रैलियों के लिये प्रधान मंत्री के कार्यालय से संपर्क बनाये रखने की पूरी ज़िम्मेदारी उनके कंधों पर है।
साथ ही शरद पवार, सीताराम येचुरी और ममता बैनर्जी जैसे राजनैतिक विरोधियों और मित्ररूपी शत्रु नीतीश कुमार के साथ उनके करीबी संबंधों के कारण, 23 मई को आने वाले चुनावी नतीजों के बाद भी जेटली की सेवाओं की मांग बनी रहने की पूरी संभावना है।