सेन्तामाराय, 65 और पी शानमुगावेल, 70 हथियारबंद लुटेरों को खदेड़ने के बाद से इंटरनेट पर छाये हुए हैं।
अगस्त 15, 2019 को तमिल नाडु के मुख्य मंत्री एडाप्पडी के पलानिस्वामी ने तिरुनेलवेली ज़िले के एक बुज़ुर्ग जोड़े को वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया। इस पुरस्कार को प्राप्त किया पी शानमुगावेल, 70 और उनकी पत्नी सेन्तामाराय, 65 ने।
अगस्त 11, 2019 की रात को उन्हें लूटने के इरादे से हाथ में हँसिये लिये दो आदमी उनके अहाते में घुसे थे, लेकिन इस जोड़े ने इतने आक्रामक तरीके से डकैतों का सामना किये कि डकैत वहाँ से भागने पर मजबूर हो गये।
उनकी बहादुरी का यह मंज़र इंटरनेट पर वायरल हो गया और यह बुज़ुर्ग जोड़ी प्रसिद्ध हो गयी।
शानमुगावेल ने ए गणेश नाडार /रिडिफ़.कॉम को बताया कि उस रात क्या हुआ था।
"कुछ दिन पहले लुटेरों ने मेरे घर में घुसने की कोशिश की थी, लेकिन ख़ुशी की बात है कि मैं चोरों के घर में घुसने से पहले पहुंच गया।
उसके बाद हमने दो सीसीटीवी कैमरे लगवा दिये। हमारे पास दो कुत्ते भी हैं।
रविवार को हम अक्सर अपने बच्चों से बात करते हैं। उस रात भी हम अपनी ड्यौढ़ी पर बैठ कर फोन में लगे थे।
सेन्तामाराय घर के भीतर कुछ लाने गयी थी। मैंने बस अपनी बहू से बात ख़त्म ही की थी।
अचानक किसी ने पीछे से आकर मेरे ऊपर एक तौलिया डाल दिया और मुझे पास के पोल की तरफ़ घसीटने की कोशिश की। मैंने तौलिये को पकड़ लिया, जो मेरे गले में कसता जा रहा था। मैं चिल्लाया, लेकिन गला दबने के कारण मेरी आवाज़ ठीक से नहीं निकली।
कई साल पहले मुझे दिल की बीमारी हुई थी, लेकिन अब मैं ठीक हूं, तो मेरी पत्नी को लगा कि मुझे दिल की कोई तकलीफ़ हुई है, इसलिये मेरी आवाज़ अजीब सी आ रही है।
मैंने अभी भी तौलिये को ज़ोर से पकड़ रखा था, ताकि वह मेरा गला न दबा पाये और मुझे पीछे के पोल तक न ले जा पाये।
तब तक एक और आदमी सामने आया, जिसके हाथ में एक हँसिया था और उसने मास्क पहन रखा था। मैंने उसे लात मारी और हम दोनों गिर पड़े।
जब तौलिया काम न आया, तो दूसरे आदमी ने भी अपनी पीछे की जेब से हँसिया बाहर निकाला।
तब तक बाहर आ चुकी मेरी पत्नी ने पहले उनपर अपनी चप्पल फेंकी और फिर जो हाथ में आया, वो फेंकना शुरू किया। मैंने भी लड़ना शुरू किया। टेनिस खेलने के कारण मेरा दायाँ हाथ काफ़ी मज़बूत है।
इस जोड़े का डकैतों को खदेड़ने का वीडियो यहाँ देखिये।
मैंने मेरी पत्नी को उनपर हमला करने के लिये एक कुर्सी उठाते देखा, तो मैंने भी एक कुर्सी उठाई और उनकी ओर लपका।
एक डकैत ने कुर्सी के ऊपर से सेन्तामाराय के मंगलसूत्र पर हाथ डाला। अच्छा हुआ कि चेन टूट गयी, वर्ना गला कट सकता था। हालांकि चेन हमें गँवानी पड़ी।
दोनों भाग गये, लेकिन हमने उनका पीछा नहीं किया, क्योंकि अंधेरा बहुत था। पूरा झगड़ा बस एक मिनट चला होगा।
असल में उनकी योजना थी मुझे पोल से बांध कर हमें लूटने की, लेकिन वो सफल नहीं हो पाये।
मैंने देखा कि मेरे कुत्ते पूरे होश में नहीं थे। उन्हें कोई ज़हरीली चीज़ खिला दी गयी थी। उन्होंने उसके बाद दो दिन तक कुछ नहीं खाया, लेकिन बाद में ठीक हो गये और अब बिल्कुल ठीक हैं।
मुझे पता है कि इस हमले की योजना पहले से बनाई गयी होगी, क्योंकि उन्हें पता था कि हमारे पास कुत्ते हैं और सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। इसलिये उन्होंने कुत्तों को नशे की दवा खिलाई और सीसीटीवी से बचने के लिये दो-दो मास्क पहने।
इकोनॉमिक्स में ग्रैजुएशन के बाद मैं 1973 से 1996 तक मदुरा कोट्स में काम करता था, जिसके बाद मैंने स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लिया। 1979 में मैंने यह ज़मीन ख़रीदी और 1980 में यहाँ खेती करने लगा।
हालांकि यहाँ के ज़्यादातर लोग धान या नारियल की खेती करते हैं, लेकिन मैंने दो कारणों से नींबू को चुना। कदायम, मेरा गाँव नींबू के लिये प्रसिद्ध है, और नींबू जल्दी ख़राब नहीं होते। ज़्यादातर सब्ज़ियाँ और फल जल्दी ख़राब हो जाने के कारण किसान को उन्हें जल्दबाज़ी में बेचना पड़ता है। मेरे साथ इस तरह की परेशानी नहीं है। हम यहाँ गायें और मुर्गियाँ भी पालते हैं।
मैं कॉलेज में बैडमिंटन और टेनिस खेलता था और काम के दिनों में भी टेनिस खेलता रहा। नींबू के खेत में काम करने के कारण मैं और मेरी पत्नी शारीरिक रूप से तंदुरुस्त हैं।
हमारे तीन बच्चे हैं, चेन्नई और बंगलुरू में दो लड़के और US में एक बेटी।
सेन्तामाराय स्कूल में बास्केटबॉल और वॉलीबॉल खेला करती थी, और खेत में मेरे साथ काम करने के कारण वह भी शारीरिक रूप से तंदुरुस्त है।
मेरा खेत आकार में 4.8 एकड़ का है और उसमें प्राकृतिक बाड़ लगी हुई है, उसकी बाड़ में काँटों वाले पेड़ लगे हैं। अब मैं स्टील की तार वाली बाड़ लगवाऊंगा, क्योंकि डकैत खेत से आते हैं, मुख्य द्वार से नहीं।
हम एक सायरन लगवा रहे हैं, जो एक मील दूर से सुनाई देगा। हमें बस उसका स्विच ऑन करना होगा।
साथ ही हम चार और सीसीटीवी कैमरों के साथ-साथ एक मोशन सेंसर लाइट लगवा रहे हैं।
हम दो डॉबरमैन कुत्ते भी ले रहे हैं, और पास में ही एक ट्रेनर है, जो उन्हें ट्रेन करेगा।
मैंने हमारे स्वदेशी राजापलायम की जगह डॉबरमैन चुना, क्योंकि देसी कुत्ते शिकार के लिये तो अच्छे होते हैं, लेकिन रक्षा के लिये नहीं। राजापलायम की सूंघने की शक्ति ज़्यादा नहीं होती। लेकिन डॉबरमैन सूंघ कर समझ जाते हैं कि आप दोस्त हैं या दुश्मन।
हम यहीं रहेंगे और अपनी खेती जारी रखेंगे। कुछ बदला नहीं है, हमने बस सुरक्षा और बढ़ा दी है।"