आशुतोष गोवारीकर पीरियड फिल्म्स बनाने के संजय लीला भंसाली के अंदाज़ से प्रेरित लगते हैं, नम्रता ठक्कर ने महसूस किया।
आशुतोष गोवारीकर ने अपनी नयी ऐतिहासिक फिल्म पानीपत का ट्रेलर रिलीज़ किया है, जो काफ़ी ख़ूबसूरत लग रही है। लेकिन इसमें हमें बाजीराव मस्तानी की झलक दिख रही है।
अर्जुन कपूर ने पिछले दो सालों में हिट नहीं दी है और उनकी इस दिसंबर की रिलीज़ के कंधों पर इसका काफ़ी बोझ है।
को-स्टार्स के रूप में कृति सनन और संजय दत्त के साथ आशुतोष एक बार फिर इस क्षेत्र में अपना हुनर साबित करने निकल पड़े हैं।
तो क्या ट्रेलर हमारी उम्मीदों पर खरा उतरा है? हाँ, और नहीं।
तीन मिनट का ट्रेलर पानीपत की लड़ाई के एक वाइड ऐंगल शॉट से शुरू होता है, जिसमें सैनिक 'हर हर महादेव' का नारा लगाते दिखाई देते हैं।
इसे ख़ूबसूरती से दिखाया गया है और यह आपको अगले दृश्य के लिये बांध कर रखता है।
कृति की वॉइसओवर हमें मराठा साम्राज्य और उसके पेशवा, सदाशिव राव भाऊ का परिचय देती है, जिस किरदार को अर्जुन ने निभाया है।
परिचय के इस दृश्य को भी ख़ूबसूरती से शूट किया गया है।
लेकिन इसके बाद का हर दृश्य आपको संजय लीला भंसाली की बाजीराव मस्तानी की याद दिलायेगा।
फिल्म में अर्जुन और कृति का लुक आपको देखा-देखा सा लगता है।
आप न चाहते हुए भी उनकी तुलना बाजीराव मस्तानी के रणवीर सिंह और प्रियंका चोपड़ा से करने लग जाते हैं।
कुछ दृश्यों में अर्जुन ने अपनी चमक बिखेरी है और दमदार लग रहे हैं।
हालांकि पेशवा के रूप में उनका परफॉर्मेंस रणवीर जितना अच्छा तो नहीं लगता, लेकिन उनकी कोशिश रंग ज़रूर लायी है।
वह योद्धा जैसे तो ज़रूर दिखते हैं, लेकिन उनका उच्चारण उतना अच्छा नहीं है और उनकी डायलॉग डिलिवरी कमज़ोर है।
कृति को स्क्रीन पर ज़्यादा समय नहीं मिला है, लेकिन उनका प्रदर्शन अच्छा है।
अर्जुन की ही तरह यह उनकी भी पहली पीरियड फिल्म है, और इस बात को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि मिस सनन ने अच्छा काम किया है।
उनका बहादुरी से भरा व्यक्तित्व आपका ध्यान ज़रूर खींचेगा।
उन्हें फाइट सीन्स में देखना भी दिलचस्प होगा।
अफगानी घुसपैठिये अहमद शाह दुर्रानी के किरदार में संजय दत्त सबसे लाजवाब लग रहे हैं।
एक बार फिर, उनका लुक भी भंसाली की पद्मावत के खिलजी के जैसा है, लेकिन दत्त अपनी पर्सनैलिटी के साथ किरदार को अलग रंग दे रहे हैं।
पानीपत का ट्रेलर देखने में तो शानदार है, लेकिन सिनेमेटोग्राफी के अलावा, कोई भी चीज़ ज़्यादा प्रभावशाली नहीं लगी।
ट्रेलर ख़त्म हो जाने के बाद शायद ही उसकी कोई बात आपके दिमाग़ में रहती है।
क्या गोवारीकर -- जिन्होंने जोधा अक़बर बनाई थी और जिन्हें काफ़ी समय से कोई हिट नहीं मिली है -- पीरियड फिल्में बनाने के भंसाली के अंदाज़ से प्रेरित लगते हैं?