'जजेज़ मुझे मेरे लुक्स या कद के लिये पॉइंट्स नहीं देंगे।'
'मुझे बस इतना पता है कि मेरा घूंसा ही मेरी ताक़त है और अपने विरोधी पर घूंसे बरसाना ही मेरा काम है।'
फोटो: अमित पंघाल वर्ल्ड चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष बॉक्सर हैं। फोटोग्राफ्स: BFI/Twitter
पुणे में प्रशिक्षण शुरू करने से पहले हरियाणा के रोहतक ज़िले में स्थित उनके गाँव में अमित पंघाल का एक और स्वागत समारोह।
स्वभाव से शर्मीले भारतीय बॉक्सिंग के इस नये महारथी को इकाटेरिनबर्ग, रूस में अपने पहले सिल्वर मेडल के बाद सुर्खियों में बने रहना पसंद नहीं है। उन्होंने अपने दोस्तों को उनके स्वागत के लिये एयरपोर्ट आने से मना किया था। लेकिन आखिर वो आते कैसे नहीं?
अमित की वापसी पर हुए उनके स्वागत का वीडियो सभी देख सकते हैं। सिर्फ बॉक्सिंग रिंग में ही ख़ुश रहने वाले इस 23 वर्षीय बॉक्सर को नीचे दिये गये वीडियो में शर्माते हुए साफ़ देखा जा सकता है:
52 किग्रा श्रेणी में कदम रखने वाले 5 फ़ुट 2 इंच कद के अमित -- उनका सामान्य 49 किग्रा वज़न ओलम्पिक श्रेणी में नहीं आता -- की निग़ाहें अब अगले साल के टोकियो गेम्स पर टिकी हैं।
कद छोटा होने के कारण वह अपने विरोधी पर दूर से हमला नहीं कर सकते और उन्हें अपने अंदाज़े पर निर्भर रहना पड़ता है। उन्हें सफलता मिली है, क्योंकि वो जानते हैं कि लंबे विरोधियों के हमले की काट के लिये सबसे बड़े हथियार उनके पास मौजूद हैं: तेज़ हाथ और तेज़ी से चलने वाले पैर।
वर्ल्ड चैम्पियनशिप फाइनल में उज़बेक़िस्तान के शाख़ोबिदीन ज़ोइरोव अपने कद और पहुंच के कारण सभी के पसंदीदा रहे, लेकिन हारने से पहले अमित ने उन्हें बेहद कड़ी टक्कर दी।
"टोकियो ओलम्पिक्स ट्रायल्स फरवरी में हैं और उसकी तैयारी के लिये मैं ट्रेनिंग पर लौटना चाहूंगा," भारतीय सेना के जवान अमित ने लक्ष्मी नेगी/रिडिफ़.कॉम को बताया।
अपने फ़ाइनल मुक़ाबले को दुबारा देखने पर, क्या आपको लगा कि आपने इसे जीत लिया था?
हम सभी को ऐसा ही लगता है। मेरे कोचेज़ को पूरा विश्वास था। मुक़ाबले के बाद मुझे लगा कि गोल्ड मेरा है । रिज़ल्ट आने के बाद हमें लगा कि ग़लत निर्णय लिया गया है।
लेकिन कोई बात नहीं; सिल्वर से मेरा हौसला बढ़ा है और यह हौसला अगले दौरे पर मुझे गोल्ड जितायेगा। इससे मेरा आत्मविशास दुगुना हो गया है।
52 किग्रा वज़न की श्रेणी में आपका सामना हमेशा आपसे ज़्यादा लंबे बॉक्सर्स से होता है। क्या यह बात आपके दिमाग़ पर हावी होती है? क्या आपको लगता है कि इससे आपको नुकसान होता है?
इस वज़न श्रेणी में शुरुआत करने पर मुझे पता था कि मुझे ज़्यादा लंबे बॉक्सर्स का सामना करना पड़ेगा। ट्रेनिंग के लिये रिंग के भीतर जाने पर हमारी पूरी रणनीति लंबे बॉक्सर्स का सामना करने पर ही आधारित होती है।
तो टूर्नामेंट्स के लिये जाने पर मैं किसी का भी सामना करने के लिये तैयार रहता हूं।
क्या आपको लगता है कि कद छोटा होने के कारण आपको मुक़ाबले से पहले विरोधी पर हावी होने और उसके मन में डर पैदा करने में मुश्किल होती है?
देखिये, जजेज़ मुझे मेरे लुक्स या कद के लिये पॉइंट्स नहीं देंगे। मैं उसके बारे में बिल्कुल नहीं सोचता।
मुझे बस इतना पता है कि मेरा घूंसा ही मेरी ताक़त है और अपने विरोधी पर घूंसे बरसाना ही मेरा काम है।
पंच करना ही सबसे अहम है। और मैं उसी पर पूरा ध्यान रखता हूं।
फोटो: अमित पंघाल अपने माता-पिता के साथ।
क्या आप अंधविश्वासी हैं?
मैं बिल्कुल अंधविश्वासी नहीं हूं। मैं रिंग के लाल कोने में रहूं या नीले में, मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
मुक़ाबले से पहले मैं कुछ भी नहीं करता; मैं बस अपना नियमित वॉर्म-अप, स्ट्रेचिंग करता हूं और कोचेज़ के साथ मस्ती-मज़ाक में लगा रहता हूं।
क्या आपको लगता है कि हैंड बैंडेजेज़ में लगे नये सेंसर्स उपयोगी हैं?
मैंने फ़ाइनल के बारे में अपने कोच से पूछा और उन्होंने बताया कि मेरे 32 प्रतिशत पंचेज़ सही जगह लगे थे।
BFI (बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया) बहुत ही जल्द उस टेक्नॉलजी के इस्तेमाल की शुरुआत करेगी। आगे जाकर यह हमारे बॉक्सर्स के काम आयेगी।
हमें टोकियो ओलम्पिक्स की अपनी तैयारी के बारे में बतायें।
वर्ल्ड चैम्पियनशिप्स की जीत से मेरा हौसला बुलंद हुआ है।
टोकियो ओलम्पिक्स ट्रायल्स फरवरी में हैं और उसकी तैयारी के लिये मैं ट्रेनिंग पर लौटूंगा। मेरे कोचेज़ मेरे भविष्य के विरोधियों के ख़िलाफ़ रणनीति बनाने में जुट गये हैं।
हम पहले ओलम्पिक क्वॉलिफ़ायर में ही ज्यादा से ज्यादा कोटा लेने की कोशिश करेंगे।
आपको रणनीति में माहिर माना जाता है। क्या आप शतरंज खेलते हैं?
(हँसते हुए)। नहीं नहीं। मैं बस बॉक्स करता हूं! मैं अपनी ट्रेनिंग पर पूरा ध्यान देता हूं और उसे अपने साथ लेकर मुक़ाबले में उतरता हूं।
मैं हमेशा लंबे बॉक्सर्स, साउथपॉज़ (खब्बू) के ख़िलाफ़ ट्रेनिंग करता हूं।
मैं अपनी रणनीति बदलने की कोशिश करता हूं और अभ्यास के दौरान देखता हूं कि मेरे लिया क्या अच्छा रहेगा।
वीडियोज़: Amit Panghal/Twitter के सौजन्य से