"मुझे यक़ीन है कि ये बेमतलब का विवाद मुझे और मज़बूत बनायेगा।"
फोटो: 'हर विवाद के बाद मैं और भी मज़बूती से ऊपर आई हूं,' दुती चंद ने कहा। फोटोग्राफ: Darren Whiteside/Reuters
दुती चंद पहली ऐसी महिला खिलाड़ी है, जिसने स्वीकार किया कि वह उड़ीसा में अपने शहर, चाका गोपालपुर की एक लड़की के साथ समलैंगिक संबंध में है।
इस निडर खुलासे के बाद से पारिवारिक बैर शुरू हुआ।
"मुझे धारा 377 को गैर-आपराधिक बनाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद खुलकर बोलने की हिम्मत मिली," 2018 में 100 और 200 मीटर की दौड़ में रजत पदक जीतने वाली भारत की जानी-मानी तेज़ धाविका ने लक्ष्मी नेगी/रिडिफ़.कॉम को बताया।
आपको खुलकर बोलने की प्रेरणा कैसे मिली?
मैं पिछले कई वर्षों से एक लड़की के साथ दोस्ताना संबंध में थी।
जब उसने मुझसे पूछा कि क्या हम अपनी ज़िंदग़ी साथ बिता सकते हैं, तो मैं तुरंत उसे जवाब नहीं दे पायी, क्योंकि मैं एक ऐक्टिव एथलीट हूं।
मुझे पिछले साल धारा 377 (भारतीय दंड संहिता की) को गैर-आपराधिक बनाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद खुलकर बोलने की हिम्मत मिली।
मैंने सार्वजनिक रूप से इस बात का खुलासा करने का फैसला किया, ताकि मैं उसे अपनी ज़िंदग़ी में स्वीकार करके एक तरह की सुरक्षा का एहसास दे सकूं।
मैंने यह भी पढ़ा कि ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर मीगन शट ने अपनी पुरानी साथीदार जेस होलियोक से शादी की, जिससे मुझे थोड़ा प्रोत्साहन मिला।
क्या आपने आपके खुलासे पर अपने परिवार की ऐसी प्रतिक्रिया की उम्मीद की थी? (सोमवार, मई 20 को, दुती चंद की बड़ी बहन सरस्वती चंद ने कहा कि धाविका की साथीदार ने पैसों और संपत्ति के लिये उस पर दबाव बनाया था और उसे ब्लैकमेल किया था।)
मेरे सामने आने का एक और कारण है।
जैसे ही मेरे परिवार को हमारे रिश्ते के बारे में पता चला, वो सब उसे धमकाने और गालियाँ देने लगे। उन्होंने उसके परिवार के साथ भी दुर्व्यवहार किया।
वो अपनी आँखों में आँसू लेकर मेरे सामने आई।
मेरा परिवार इस रिश्ते के ख़िलाफ़ था, तो मैंने उसके माता-पिता से पूछा कि क्या वो हमारे इस रिश्ते का साथ देंगे, और वो मान गये।
ये बात मेरे दिल को छू गयी और यही कारण है कि मैंने सबके सामने इस बात का खुलासा किया।
सोशल मीडिया में आपकी तारीफ़ हुई है...
सच कहूं तो, मैं अपने रिश्ते को दुनिया के सामने लाने में डर रही थी। लेकिन बाहरी लोगों से मिले सहयोग के लिये मैं हमेशा उनकी आभारी रहूंगी।
क्या आपको अपने रिश्ते को दुनिया के सामने लाने का कोई अफ़सोस है?
मैं एक छोटे गाँव से हूं। भीतर से मुझे पता ही था कि मेरा परिवार मेरे रिश्ते का साथ नहीं देगा, लेकिन मैं नहीं जानती थी कि वो इस हद तक चले जायेंगे कि मेरे खेल में मुझे बढ़ावा देने वालों को भी बदनाम करने लगेंगे।
मेरा परिवार कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडस्ट्रियल टेक्नॉलजी युनिवर्सिटी और मेरे धर्मपिता पर आरोप लगा रहा है। वो तो ऐसे रिऐक्ट कर रहे हैं, जैसे मैंने किसी का ख़ून कर दिया हो!
मुझे किसी बात का अफ़सोस नहीं है, लेकिन मुझे बुरा लगता है कि वो लोग मुझसे बात नहीं करते, लेकिन मीडिया के सामने बोलते हैं और गलत लोगों पर इल्ज़ाम लगाते हैं।
एक परिवार की तरह हमें आमने-सामने बैठ कर बात करनी चाहिये थी, जो हो नहीं रहा है।
इस खुलासे के बाद आप एक और नये विवाद में पड़ गयी हैं। (2014 में, टेस्टोस्टेरोन-कैप नियमों के बाद दुती को भारत की कॉमनवेल्थ खेलों की टीम से निकाल दिया गया था। IAAF ने पिछले वर्ष नियम हटा दिये, जिसके कारण उन्हें 100 और 200 मीटर में दौड़ने का मौका मिला।)
(हँसते हुए) हाँ, विवादों को मैं बहुत पसंद हूं। लेकिन मुझे लगता है कि हर विवाद के बाद मैं ज़्यादा मज़बूती से वापस आती हूं।
2014 में मुझपर बैन लगने के बाद, मैंने अगले साल एक राष्ट्रीय रेकॉर्ड बनाया और रियो ओलम्पिक्स में पहुंची।
मुझे उम्मीद है कि ये बेमतलब का विवाद मुझे और भी मज़बूत बनायेगा।
क्या इसका असर आपकी ट्रेनिंग पर पड़ा है?
जी हाँ, बिल्कुल! रविवार आराम का दिन था और मैं बस इंटरव्यूज़ दे रही थी। लेकिन आज मेरी प्रैक्टिस छूट गयी।
अब आगे क्या?
मैं कल ट्रेनिंग पर लौटूंगी। मुझे अपने अनुशासन पर ध्यान देना होगा, और सारी चीज़ें अपने आप ठीक हो जायेंगी।
क्या इस घटना ने आपको भावुक कर दिया है?
बहुत ज़्यादा नहीं। लेकिन टेलीविज़न पर अपने माता-पिता की बातों को सुनकर मुझे बहुत दुःख होता है।