डिवाइन की यात्रा हमें चार महत्वपूर्ण सबक देती है .
विवियन फर्नांडिस उर्फ डिवाइन, जिन्हें पहले इंडियन रैप का शेर कहा जाता था, ने अपना पहला एकल 'वॉइस ऑफ द स्ट्रीट्स' 2013 में जारी किया.
लेकिन उन्हें पहचान दिलाई उनके गीत 'जंगली शेर' ने.
इसकी शुरुआत इन शब्दों से होती है - 'सुनेगा क्या शेर लोगों की कहानी' और फिर यह डिवाइन के संघर्ष की कहानी बयाँ करता है.
'रीयल' मुंबई में फिल्माए गए इस गीत में रैपर्स की ज़िन्दगी की कुछ झलकियाँ मिलती हैं.
ये गीत हैं:
घर में बाप के रोज़ का लफड़ा...
दफ़नाया मुश्किलों को मेरी माँ की कमाई ने...
बाप वाला रोल निभाया मेरे भाई ने...
तैरना सीखा खाई में, इसीलिए शब्दों में गहराई है'
रणवीर सिंह और आलिया भट्ट की फ़िल्म 'गली बॉय' एक असली गली (सड़क) बॉय, डिवाइन की ज़िन्दगी से प्रेरित है.
कई साल तक चले संघर्ष और अनेक गुमनाम से गीतों के बाद, डिवाइन को वर्ष 2015 में 'मेरी गली' गीत से प्रसिद्धि मिली.
वर्ष 2017 में, उन्होंने एक और सुपर हिट दिया 'फरक', जो भारत के इंडिपॉप चार्ट्स में शीर्ष आईट्यून्स में शामिल रहा.
अपने संगीत के साथ, डिवाइन ने यह साबित किया कि हिप-हॉप का ड्रग्स से कोई लेना-देना नहीं है. यह संगीत के प्रति ईमानदार बने रहने का नाम है.
हम यहाँ कुछ ऐसे सबक पेश कर रहे हैं, जो हमने इस देसी रैपर की ज़िन्दगी, उसके संघर्ष और उसके गीतों से पाए हैं.
1. अपना टाइम आएगा
डिवाइन ने 15 साल की उम्र में उत्तरी मुंबई के जे बी नगर की गलियों से रैपिंग शुरू की थी.
2 अक्टूबर, गाँधी जयन्ती पर जन्मी इस शख्सियत ने 'मेरी गली में' के साथ गली को कूल बनाया.
स्टैंड-अप कॉमिक अबीश मैथ्यू के साथ एक इंटरव्यू में डिवाइन ने बताया कि वे हिप-हॉप से सबसे पहले उस वक्त रूबरू हुए, जब उन्होंने अपने एक सहपाठी को 50 सेन्ट टी-शर्ट पहने देखा.
डिवाइन की जिज्ञासा को देखते हुए उनके उस सहपाठी ने उन्हें एक सीडी दी, जिसमें 90 के दशक के हिप-हॉप कलाकारों की गीत थे.
मुझे एमिनेम जैसे रैपर्स द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द समझ नहीं आए.
मैंने सोचा कि किसी को रैप में भी बंबईया हिन्दी को शामिल करना चाहिए.
हिप-हॉप के सफ़र की यही शुरुआत थी.
डिवाइन, जो एक बिखरे हुए परिवार से आए थे, वे संगीत के प्रति अपने प्रेम का श्रेय अपने दोस्तों को देते हैं - आप देख सकते हैं कि उन्होंने अपने गीतों में भी इसका ज़िक्र किया है.
इसी इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मैं ज़्यादातर अकेले ही बड़ा हुआ हूँ. इसलिए मेरा मेलजोल मेरे परिवार से ज़्यादा मेरे दोस्तों के साथ रहा है.
उनकी माँ ने विदेशों में काम किया और उन्हें रोज़मर्रा की छोटी-छोटी ज़रूरतों के लिए भी संघर्ष करना पड़ा. उनके लिए वो उनकी 'बेस्ट फ्रेंड, असली साथी, क्रू, फैमिली और माँ है.
वे कई सालों तक उस दिन का सपना देखते रहे जब वे इतना कमा लेंगे कि वे अपनी माँ को वापस भारत ला सकेंगे.
गुज़रते समय के साथ न केवल उन्होंने अपना सपना पूरा किया, बल्कि उससे भी कहीं अधिक पाया.
मुंबई की सड़कों पर रैपिंग करने से लेकर, एक इंडियन रैप सेंसेशन बनने तक, अब डिवाइन के पास अपने जीवन से प्रेरित एक फ़िल्म भी है.
2. अपने जुनून को लेकर कभी अफ़सोस मत करो
'मैं गटर में पला-बढ़ा हूँ. मुझे केवल मेरी माँ ने बड़ा किया है. मेरे पैसों से खेलो मत, मुझे पता है भूख क्या होती है.'
डिवाइन की गीतों में कोई अफ़सोस नहीं है, और वे हार्ड-हिटिंग हैं, जो बहुत कुछ संगीत के लिए उसके जुनून की तरह हैं.
उनके लिए रैप जीवन जीने का एक तरीका है. वे मुंबई के एक जघन्य वर्ग के प्रतिनिधि हैं और अपने चाहने वालों के लिए एक हीरो की तरह हैं.
उनके गीतों में महँगी कारें, पैसे और हॉट औरतें नहीं हैं, बल्कि इनमें होती हैं रोज़मर्रा की चुनौतियाँ, जैसे गरीबी, झोपड़ पट्टी की ज़िन्दगी और उनके घर में होने वाली चीज़ें.
उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा है कि 'मैं झोपड़ पट्टी की ऐसी आवाज़ हूँ, जैसे छत पर आवारा कुत्ते होते हैं'.
वे अपने चाहने वालों के लिए एक साधारण सा लड़का हैं, जो मुश्किल हालातों में पला-बढ़ा है, और उसके गीतों में उसका संघर्ष झलकता है. 'सड़कों में सीखा हूँ', ये पंक्तियाँ हैं फरक से.
डिवाइन यूँ तो धारा प्रवाह हिन्दी नहीं बोल पाते हैं, पर फिर भी वे रैप में इस भाषा का उपयोग करते हैं. रैप उनके लिए अपनी भड़ास निकालने का एक रास्ता है.
उनका सपना है कि वे इंडियन हिप-हॉप को पूरी दुनिया में ले जाएँ और उन्हें भरोसा है कि वे अपने होम प्रोडक्शन 'गली गैंग एंटरटेन्मेंट' के साथ यह कर दिखाएँगे.
3. ज़मीन से जुड़ाव
डिवाइन अब एक मशहूर हस्ती बन चुके हैं, पर उनके रैप में वो चीज़ें आज भी जस की तस हैं, जिनमें उन्हें अपने संघर्ष के दिनों से भरोसा रहा है.
वे अपनी आवाज़, अपनी असलियत, अपने अतीत और अपने संगीत के प्रति ईमानदार रहे हैं.
उनके अनुसार 'किसका हाथ नहीं था सर पर, यहाँ पर आया खुद की मेहनत से मैं.'
उनका संगीत शब्दों से परे जाता है, इसमें उनकी भावनाएँ प्रतिबिंबित होती हैं - और वह 'आम जनता' की थीम के अनुरूप है.
लोकप्रियता ने उन्हें गली से दूर कर दिया है, पर कोई भी उनके भीतर मौजूद गली को उनसे दूर नहीं कर पाया.
'तीसरी मंज़िल' में उन्होंने याद दिलाया कि 'गली को कभी भूला नहीं'.
4. आलोचना का सामना, सीना तानकर
लगभग हर अगले दिन, आप रैपर्स को उन्हें निशाना बनाते हुए और उनकी टांग खींचते हुए देख सकते हैं.
'गली में अपने, कुत्ता भी शेर है', ये गीत कोलकाता के एक बैंड ने निकालकर डिवाइन के गीत 'जंगली शेर' का मज़ाक उड़ाने की कोशिश की.
जब डिवाइन से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 'गाना अच्छा है'.
'मैं इसका अच्छा पक्ष देख रहा हूँ, क्योंकि हम (हिप-हॉप कलाकार) लोगों का कभी कोई सीन नहीं रहा और उनको (ट्रोल्स को) अपने संगीत पर ध्यान देना चाहिए.
डिवाइन जानते हैं कि बातों की जंग में पड़े बिना ट्रोल्स और क्रिटिक्स कैसे निपटा जाए.
और, वे यह भी जानते हैं कि ज़रूरत पड़ने पर किसी अच्छे ट्रोल की तारीफ़ कैसे की जाए.
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