कश्मीरी लड़कियाँ, जिन्हें पहले महिला ट्रेनर्स नहीं मिल पाती थीं, आज मेहरीन अमीन के जिम में फिटनेस की ओर अपने कदम बढ़ा रही हैं।
21 वर्ष की उम्र में मेहरीन अमीन ने श्रीनगर में एक जिम खोला, क्योंकि पूरे शहर में उसके जाने लायक कोई भी जिम नहीं था।
"सभी जिम्स युनिसेक्स थे। वो सब सिर्फ महिलाओं के लिये एक घंटे का छोटा सा स्लॉट रखते थे। मुझे मेल ट्रेनर के साथ अच्छा नहीं लगता था," मेहरीन ने श्रीनगर से टेलीफोन पर रिडिफ.कॉम की अर्चना मसीह को बताया।
मेहरीन ने 2016 में एक जगह किराये पर ली और डाउनटाउन श्रीनगर में एक ऑल वूमेन जिम खोला।
यह विचार उसे अपनी ही अस्वस्थ जीवनशैली और वज़न बढ़ने के अनुभव के कारण आया। मेहरीन नई दिल्ली में अपने भाई के साथ कुछ समय बिताने गयी थी और बहुत ज़्यादा वज़न बढ़ जाने के कारण उसने वहां एक जिम जॉइन कर लिया।
जिम में कड़ी मेहनत रंग लाई और कुछ ही महीनों में उसका वज़न 30 किलो कम हो गया। इसके बाद फिटनेस में उसकी दिलचस्पी जागी और उसने फिटनेस ट्रेनर बनने के लिये दिल्ली में एक साल का कोर्स किया।
श्रीनगर लौटने पर, उसे महसूस हुआ कि उसका वज़न फिर से बढ़ने लगा है। शहर में पुरुषों से भरे जिम्स में असुविधा महसूस करने पर उसने सोचा कि वो पैदल चल कर अपना वज़न कम कर लेगी।
"लेकिन लोग मुझे घूरते थे। कश्मीर एक पिछड़ी सोच वाली सोसाइटी है। मुझे अकेले पैदल जाना सुरक्षित महसूस नहीं होता था," मेहरीन ने बताया।
जब उसे पता चला कि पूरे डाउनटाउन श्रीनगर में न कोई महिला फिटनेस ट्रेनर है और न ही महिलाओं के लिये विशेष जिम, तो उसने खुद एक जिम खोलने की ठान ली।
लेकिन उसकी कम उम्र के कारण लोगों ने उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। पहले लोगों ने उसकी बात हँसी में उड़ा दिया। बहुत मनाने के बाद उसका परिवार तैयार हुआ, लेकिन किराये पर जगह ढूंढना बेहद मुश्किल काम था।
उसने लगभग हार मान ली थी और वो एक स्थानीय कॉलेज में एमबीए में दाखिला लेने चली गयी। जब वो एड्मिशन फॉर्म लेने गयी, तब उसने देखा कि कॉलेज के ठीक सामने एक जगह किराये पर देने का नोटिस लगा है।
पूछताछ करने पर वह आदमी 20,000 प्रति माह के किराये पर जगह देने के लिये तैयार हो गया और उसने डील पक्की करने के लिये किसी को भेजने के लिये कहा। मेहरीन के चाचा ने मालिक से बात की और मेहरीन को अपने सपनों के इस प्रोजेक्ट पर काम करने का मौका मिल ही गया।
मेहरीन के माता-पिता ने शुरुआती इनवेस्टमेंट में मदद की, जिससे उसने जिम के उपकरण ख़रीदे और जिम शुरू किया।
शुरुआत में, सिर्फ दो सदस्याऍं ही आती थीं और कई लोग छींटाकशी करते थे।
"लोग मेरा मज़ाक उड़ाते थे और कहते थे कि ये पैसों की बर्बादी है। उन्होंने मेरे माता-पिता से कहा कि इससे अच्छा ये पैसे उन्हें अपने बेटे को बिज़नेस के लिये देने चाहिये थे," मेहरीन ने बताया।
लोगों ने उम्मीद नहीं की थी, लेकिन सफलता ने दस्तक ज़रूर दी।
एक-दूसरे से सुनकर कई महिलाऍं यहाँ आने लगीं और आज इस जिम में रोज़ 100 मेम्बर्स आती हैं। इसकी फी रु 2,000 प्रति माह है।
"जो लोग उस समय मेरे असफल होने का दावा करते थे वही आज कहते हैं कि हमें इस लड़की पर पूरा भरोसा था," मेहरीन बताती है, जिसने अपने माता-पिता का आधा इनवेस्टमेंट उन्हें लौटा दिया है और जिसका बिज़नेस आज अपने दम पर चल रहा है।
हर सुबह फिटनेस हब 6 बजे खुल जाता है और तीन बैचेज़ सुबह, तीन शाम को ली जाती हैं। मेहरीन अपना पूरा दिन जिम में ग्राहकों को ट्रेनिंग और डाइटिंग के सुझाव देते हुए बिताती है। एक और महिला ट्रेनर उसके साथ काम कर रही है।
"मैं रोज़ आती हूं और मेरा वज़न 6 किलो कम हुआ है। मैं अब ज़्यादा स्ट्राँग महसूस करती हूं और मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है," शग़ुफ़्ता का कहना है, जिसने हाल ही में जिम में दाखिला लिया है।
"ये जगह महिलाओं के लिये बेहद सुरक्षित भी है," इस साइंस की छात्रा ने कहा, जिसने अपने साथ अपनी कुछ सहेलियों को भी यहाँ दाखिला लेने के लिये मना लिया।
मेहरीन का कहना है कि ये इलाका पूरे कश्मीर का सबसे सुरक्षित इलाका है और यहाँ पर उसे कभी असुरक्षित नहीं महसूस हुआ। कभी-कभी सैलानी भी जिम में आते हैं।
उसका कहना है कि अगले महीने होने वाले चुनावों का जिम के काम-काज पर कोई असर नहीं होगा। उसने अभी तक किसी चुनाव में वोट नहीं दिया है, और वो कहती है कि इस बार भी नहीं देगी।
"यहाँ पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं राजनीति में दिलचस्पी नहीं रखती," उसने कहा।
"जिम और फिटनेस ही मेरा लक्ष्य और मेर सपना है। मैं खुश हूं कि मैंने कई महिलाओं की ज़िंदग़ियाँ बदली हैं।"
खाने के संबंध में मेहरीन की सलाह:
• तली-भुनी चीज़ें कम खायें, ख़ास तौर पर सड़क पर बिकने वाला चाइनीज़।
• ज़्यादा से ज़्यादा सलाद और फल खायें।
• घर का खाना खायें।
• दोपहर के खाने में चावल और रात के खाने में रोटी खायें।